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Economic Plan of India | भारत में आर्थिक नियोजन Indian Economy Previous Year Questions



भारत में आर्थिक नियोजन | Economic Plan of India & Important Question





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इस अध्याय के अंतर्गत पढ़ेंगे कि भारत में आर्थिक नियोजन Economic plan of India की क्या-क्या नीतियां अपनाई गई थी, तथा आर्थिक नियोजन के इतिहास के बारे में जानकारी देंगे तथा उससे संबंधित जितने की महत्वपूर्ण प्रश्न है जो आगामी परीक्षा में पूछे जाने की संभावनाएं हैं उनको हम एक टेस्ट के माध्यम से आप लोगों के साथ साझा करेंगे तो जुड़ जाइए हमारे साथ और टेस्ट देने से पहले एक बार इसको अवश्य पढ़ने जो आपकी समझ के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाली है साथ ही अंत में टेस्ट देना ना भूलें 




भारत में आर्थिक नियोजन क्या होता है ?





राज्य के नेतृत्व में संपूर्ण अर्थव्यवस्था का एक ऐसा प्रबंधन जिसमें संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग कर आर्थिक विकास किया जा सके नियोजन/ आयोजन कहलाता है, वर्ष 1930 की वैश्विक महामंदी के बाद आर्थिक नियोजन की अवधारणा काफी लोकप्रिय हुई इस प्रकार 1928 में रूस द्वारा भारत में आर्थिक नियोजन की प्रणाली को अपनाया गया


भारत में आर्थिक नियोजन के क्या क्या उद्देश्य हैं?

भारत में आर्थिक नियोजन के उद्देश्य : -


  • संसाधनों का उचित वितरण सुनिश्चित करना
  • बेरोजगारी को दूर करना
  • निर्धनता चक्र को समाप्त करना
  • कृषि एवं उद्योगों का समन्वित विकास करना
  • राजनीतिक, आर्थिक एवं लोकतंत्र की स्थापना करना
  • आत्मनिर्भरता एवं आधुनिकीकरण
  • निवेश एवं पूंजी निर्माण को बढ़ावा देना
  • तीव्र आर्थिक विकास के साथ-साथ समावेशी विकास दर पर बल देना



नियोजन का वर्गीकरण : -





अर्थव्यवस्था में राज्य की हस्तक्षेप की मात्रा एवं गुणवत्ता के आधार पर आयोजन को निम्न भागों में बांटा जाता है-

आदेशात्मक आयोजन/ नियोजन


यह एक केंद्रीय व्यवस्था है इसके अंतर्गत राज्य तथा सरकारी संस्थाओं का व्यापक एवं प्रत्यक्ष नियंत्रण होता है, क्योंकि इसमें एक विशेष प्रशासनिक ढांचा होता है इस विशेष प्रशासनिक ढांचे को सक्रिय रखने के लिए दद विधि का प्रयोग किया जाता है | वितरण प्रणाली में प्रशासन की प्रत्यक्ष भूमिका होती है, जिसमें प्रशासनिक मूल्य व्यवस्था का प्रयोग किया जाता है ऐसा सामान्यतः समाजवादी देशों में होती है उदाहरण के लिए जैसे रूस चीन आदि|


निर्देशात्मक आयोजन/ नियोजन


यह एक विकेंद्रीकरण व्यवस्था होती है इसमें राज्य संस्थाओं का संकेतिक हस्तक्षेप होता है तथा निजी क्षेत्रों की व्यापक भागीदारी होती है यहां पर सरकार केवल नीति निर्माण करती है जिसका क्रियान्वयन निजी क्षेत्रों द्वारा होता है, इसके अंतर्गत यहां बाजार मूल्य व्यवस्था का प्रयोग होता है और वर्तमान में विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं ने इस आयोजन को अपनाया है




भारत में नियोजन के चरण


भारत में नियोजन के चरण 1951 से लेकर 2010 तक थे जो इस प्रकार हैं-

1951 - 1990 आदेशात्मक

1990 - 2010 निर्देशात्मक

संरचनात्मक आयोजन


यदि आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संसाधनों के वर्तमान स्थायित्व के ढांचे, उत्पादन की विधि एवं संस्थागत व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन किया जाए तो यह संरचनात्मक आयोजन कहलाता है

उदाहरण के लिए जैसे भूमि सुधार, बैंकों का राष्ट्रीयकरण आदि




प्रक्रियात्मक आयोजन:-


यदि आर्थिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संसाधन स्थायित्व के उत्पादन की विधि अथवा संस्थागत व्यवस्था में परिवर्तन आकर अनुकूलतम दोहन की रणनीति अपनाई जाती है तो यह प्रक्रियात्मक आयोजन कहलाता है





भारत में आर्थिक नियोजन का इतिहास | History of Economic Planning in India



भारत में आर्थिक नियोजन के संदर्भ में अनेक समितियां और प्लेन लाए गए जिनके द्वारा भारत के आर्थिक स्थिति को किस तरह मजबूत किया जाए, जिनका विवरण हम निम्न प्रकार आसानी से समझ सकते हैं-

एम.एस. विश्वरवैया योजना: -

भारत में नियोजन की आवश्यकता के संदर्भ में एक पुस्तक “Planned Economy for India” (भारत के लिए नियोजित अर्थव्यवस्था) सन 1934 में प्रकाशित हुई थी, इस पुस्तक के लेखक सर. एम. विश्वेश्वरैया थे, इनकी पुस्तक लोकतांत्रिक कौन सी बात पर आधारित थी




अन्य पुस्तकें:-


Some Aspects of Planning

                                                            N. सुब्बाराव

Principal Planning

                                                            P.L. लोकनाथ

आर्थिक पुनर्निर्माण

                                                            K.N. सिंह




Federation of India Chambers of Commerce and Industry (FICCI) का प्रस्ताव:-


Federation of India Chambers of Commerce and Industry एक गैर सरकारी संस्था थी जिसकी स्थापना 1927 में घनश्याम दास बिरला वह पुरुषोत्तम ठाकुर दास ने की थी, 1934 में एनआर सरकार द्वारा राष्ट्रीय योजना आयोग बनाने की समीक्षा की थी

वर्तमान अध्यक्ष- संगीता रेड्डी

मुख्य कार्यालय - नई दिल्ली




कांग्रेसी योजना 1938 :-



कांग्रेस के हरिपुर अधिवेशन में राष्ट्रीय योजना समिति का गठन किया गया, इस समिति की स्थापना 1938 में की गई थी जिसने 10 वर्ष बाद अर्थात 1948 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की इसके अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे


मुंबई प्लान Bombay Plan: -



मुंबई के 8 उद्योगपतियों द्वारा जनवरी 1944 में मुंबई प्लान की शुरुआत की जिसके अध्यक्ष सर आदिश्वर दयालयह पूंजीवादी प्रणाली पर आधारित थी इसका मुख्य लक्ष्य राष्ट्रीय आय को तीन गुना और प्रति व्यक्ति आय को दोगुना प्रस्तावित किया गया था


जन योजना People Plan: -


एमएन राय द्वारा अप्रैल 1944 में सामने बात पर आधारित जन योजना को शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य जनता की आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति कराना था, इसके द्वारा 15000 करोड रुपए खर्चा प्रस्तावित किया गया था


गांधीवादी योजना: -


गांधीवादी योजना श्रीमन्नारायण द्वारा जून 1945 में शुरू किया गया था जो गांधीवादी की ग्राम स्वराज पर आधारित थी इसका उद्देश्य सहकारी कृषि तथा लघु एवं कुटीर उद्योग को बढ़ावा देना था

सर्वोदय योजना की :-


जनवरी 1950 को जयप्रकाश नारायण की अध्यक्षता में शुरू की गई थी इसका एक सिद्धांत था कि गांधी के सर्वोदय विचार पर आधारित खेती को बढ़ावा देना तथा आर्थिक विषमताओं को दूर करना आदि था

कोलंबो योजना Colmbo Yojna: -


जनवरी 1950 में श्रीलंका और भारत सहित अन्य 26 देशों की योजना थी जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र राष्ट्र द्वारा बनाई गई योजना थी

अर्थशास्त्रियों की परामर्शदात्री समिति: -


अर्थशास्त्रियों की परामर्शदात्री समिति की स्थापना 1941 में रामास्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में की गई थी


योजना एवं विकास विभाग: -


योजना एवं विकास विभाग 1944 में लॉर्ड वेवेल द्वारा स्थापित किया गया था तथा इसके अध्यक्ष आदेशरी दलाल थे, 1946 में बंद कर दिया गया था



योजना आयोग Planning Commission


के सी नियोगी की सिफारिश पर केंद्रीय मंत्रिमंडल के कार्यकारी प्रस्ताव पर 15 मार्च 1950 को योजना आयोग की स्थापना की गई, यह एक गैर संवैधानिक परामर्शदात्री संस्था है

 
योजना आयोग की संरचना Structure of Planning Commission:-


अध्यक्ष: -

प्रधानमंत्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है

योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष - पंडित जवाहरलाल नेहरू

योजना आयोग के अंतिम अध्यक्ष - नरेंद्र मोदी


उपाध्यक्ष


योजना आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर की जाती है

योजना आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष - गुलजारी लाल नंदा

योजना आयोग के अंतिम उपाध्यक्ष - माउंटेन सिंह अहलूवालिया

Note: - योजना आयोग के उपाध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता था

पदेन सदस्य: -


वित्त मंत्री तथा योजना मंत्री योजना आयोग के पदेन सदस्य होते थे

पूर्णकालिक सदस्य : -


योजना आयोग के 7 सदस्य जिन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है वह योजना आयोग के पूर्णकालिक सदस्य होते हैं

Note:- कुछ केंद्रीय मंत्रियों को अस्थाई सदस्य प्रदान की जाती थी


“अशोक चंद्र” ने योजना आयोग को “आर्थिक मंत्रिपरिषद” की संज्ञा दी थी


योजना आयोग ने राज्य के मुख्यमंत्री सम्मिलित नहीं होते थे



योजना आयोग के कार्य



देश की आर्थिक समृद्धि एवं विकास हेतु योजनाओं का निर्माण करना


प्राथमिकताओं का निर्धारण कर संसाधनों का आवंटन करना


योजनाओं के प्रत्येक चरण का मूल्यांकन करना


योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु आवश्यक प्रशासनिक तंत्र का निर्माण करना

Note: - 1 जनवरी 2014 को योजना आयोग समाप्त कर नीति आयोग का गठन किया गया है




राष्ट्रीय विकास परिषद National Development Council


6 अगस्त 1952 को नियोगी समिति की संस्तुति पर सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा गैर संवैधानिक निकाय के रूप में राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन किया गया था इसके अध्यक्ष तथा सचिन वही होते थे, जो योजना आयोग के होते थे प्रारंभ में राज्यों के मुख्यमंत्री की इसके सदस्य होते थे परंतु 1967 के बाद से केंद्रीय मंत्री परिषद एवं योजना आयोग के सभी सदस्य तथा केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक भी इसके सदस्य बना दिए गए थे |



राष्ट्रीय विकास परिषद की संरचना Structure of National Development Council


अध्यक्ष -


 प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विकास परिषद का पदेन अध्यक्ष होता है, राष्ट्रीय विकास परिषद के प्रथम अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे


भारत सरकार के सभी केंद्रीय कैबिनेट मंत्री इसके सदस्य होते हैं


सभी राज्यों के मुख्यमंत्री तथा केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या प्रशासक दी इसके सदस्य होते हैं


योजना आयोग के सदस्य भी इसके सदस्य होते हैं


योजना आयोग के सचिन ही राष्ट्रीय विकास परिषद NDC के सचिव के रूप में कार्य करते हैं
राष्ट्रीय विकास परिषद के कार्य


राष्ट्रीय स्तर पर योजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन की भावी रूपरेखा तैयार करना


योजना के लक्ष्य की प्राप्ति करने का प्रयास करना


आर्थिक संसाधनों के लक्ष्य के अनुसार बेहतर उपयोग करना


योजना के प्रारूप का अनुमोदन करना




राष्ट्रीय विकास परिषद से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य



राष्ट्रीय विकास परिषद की कुल 57 बैठक संपन्न हुई थी जिसमें प्रथम बैठक 8 और 9 नवंबर को तथा अंतिम बैठक 27 दिसंबर 2012 को संपन्न हुई थी


राष्ट्रीय विकास परिषद एक संविधानउत्तर निकाय है


राष्ट्रीय विकास परिषद ने 11 योजनाओं को अनुमोदन किया जबकि योजना आयोग ने 12 योजनाओं का प्रारूप तैयार किया


राष्ट्रीय विकास परिषद के कार्य सदस्य संख्या को देखते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने इसे सुपर कैबिनेट कहां




नीति आयोग NITI AAYOG


1950 के दशक में गठित ‘ योजना आयोग’ अब इतिहास के पन्नों में चला गया है, योजना आयोग के स्थान पर एक नई संस्था लाने के इरादे की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कही थी, मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के तहत यह नई संस्था एक जनवरी 2015 से अस्तित्व में आ गई नई संस्था को राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान National Institution for Transforming India - NITI नाम दिया गया है यह आमतौर पर नीति आयोग की संज्ञा से जाना जाता है प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला यह आयोग सरकार के थिंक टैंक के रूप में कार्य करेगा तथा सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति निर्माण करने वाले संस्थान की भूमिका यह निभाएगा



नीति आयोग की संरचना Structure of NITI AAYOG : -

अध्यक्ष


प्रधानमंत्री नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष होते हैं नीति आयोग के प्रथम व वर्तमान अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं




उपाध्यक्ष


नीति आयोग के उपाध्यक्ष की नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, नीति आयोग के प्रथम उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया थे और वर्तमान में डॉक्टर संजीव कुमार नीति आयोग के उपाध्यक्ष हैं

उपाध्यक्ष को कैबिनेट स्तर के मंत्री का दर्जा प्रदान किया जाता है




शासी परिषद Governing Council :


सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री तथा प्रशासक

पदेन सदस्य


गृहमंत्री - अमित शाह

वित्त मंत्री - निर्मला सीतारमण

रक्षा मंत्री - राजनाथ सिंह

कृषि मंत्री - नरेंद्र सिंह तोमर

आदि एक संस्था के पदेन सदस्य होते हैं

पूर्णकालिक सदस्य


नीति आयोग के 3 पूर्णकालिक सदस्य होते हैं -


विजय कुमार सारस्वत


प्रोफेसर रमेश चंद्र


डॉ बीके पाल
 

6. विशेष आमंत्रित सदस्य


नीति आयोग के विशेष आमंत्रित सदस्यों की संख्या क्या होती है जिनका विवरण निम्न प्रकार है


नितिन गडकरी - सड़क एवं परिवहन मंत्री


पीयूष गोयल - रेल मंत्री


राव इंद्रजीत सिंह - योजना मंत्री


थावर चंद्र गहलोत - सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री

7. अंशकालिक सदस्य Part time Members :


नीति आयोग में अंशकालिक सदस्य के रूप में अग्रणी विश्वविद्यालय, शोध संस्थानों से संबंधित अधिकतम 2 सदस्य होते हैं और वर्तमान में यह दोनों ही पद रिक्त हैं।

8. मुख्य कार्यकारी अधिकारी Chief Executive Officer


नीति आयोग में भारत सरकार के सचिव स्तर का अधिकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा।

नीति आयोग के प्रथम मुख्य कार्यकारी अधिकारी सिंधुश्री खुल्लर थे और वर्तमान में अमिताभ कांत नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।



9. क्षेत्रीय परिषद Regional Council


राज्यों के मध्य होने वाले विवादों के निपटारे हेतु एक क्षेत्रीय परिषद की स्थापना की जाती है जिसके अध्यक्ष नीति आयोग का उपाध्यक्ष होते हैं। इसका फैसला सर्वमान्य होगा।




नीति आयोग केंद्र सरकार की बौद्धिक संस्थान थिंक टैंक मानी जाएगी जिसमें सरकार किसी भी योजना का प्रारूप सोच समझकर बनाएगी।



नीति आयोग के प्रभावी सुशासन के 7 स्तंभ



सक्रियता Activity


सहभागिता Participation


सशक्तिकरण empowerment


सार्वभौमिक समावेशन Universal Inclusion


समानता Equality


पारदर्शिता Transparency


लोगों के लिए For the People




नीति आयोग योजना आयोग से भिन्न क्यों हैं -



केंद्र के साथ राज्य सरकारों की समान भूमिका


भारतीय मॉडल पर आधारित


PPP मॉडल पर आधारित

P = Public

P = Private

P = Partnership


यह योजना का अनुमोदन स्वयं करता है।


यह है सहयोगात्मक संघवाद पर आधारित है।


राजू के मध्य वित्त का बंटवारा स्वयं करता है।


पंचवर्षीय योजना के स्थान पर 15 वर्षीय "विजन पत्र" लागू किया है जो वर्तमान समय में 2017-18 से शुरू होगा और 2031-32 में समाप्त हो जाएगा।


प्रथम 7 वर्षीय राष्ट्रीय विकास एजेंडा जिसमें गरीबी उन्मूलन किया जाएगा जो 2017-18 से 2024-25 तक चलेगा।




उपर्युक्त महत्वपूर्ण तथ्यों पर आधारित प्रश्न





1. राष्ट्रीय विकास परिषद का मुख्य घटक होता है?


पंचवर्षीय योजनाओं के अनुमोदन से


ग्राम विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन से


विकास परियोजनाओं के निर्माण से


केंद्र राज्य वित्तीय संबंधी से

Ans. A




2. नियोजन पूर्वअपेक्षित समझा गया है -


संतुलित सामाजिक आर्थिक विकास के लिए


विकास के लाभ स्वरूप में विस्तृत करने के लिए


असंचालित विषमताओं को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए


उपलब्ध संसाधनों के उपयोग को अधिकतम बनाने के लिए

नीचे दिए गए कूट में से सही उत्तर का चैन कीजिए :


1 और 2


1,2 और 3


2, 3 और 4


सभी चारों

Ans. D




3. राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन किस तिथि को किया गया था?


16 अगस्त 1950


1 अप्रैल 1951


6 अगस्त 1952


16 अगस्त 1952

Ans. C




4. राष्ट्रीय विकास परिषद मुख्यतः संबंध थी?


योजनाओं को लागू करने में


पंचवर्षीय योजनाओं के अनुमोदन करने में


भारत में मुख्य विकास योजनाओं के अनुमोदन और मूल्यांकन में


सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के लागू करने में

Ans. C




5. आदेशात्मक और निर्देशात्मक योजना में आधारभूत अंतर क्या है?


आदेशात्मक योजना में आदेश सोपान बाजार तंत्र का स्थान पूरी तरह से ले लेता है जबकि निर्देशात्मक योजना में उसी बाजार प्रणाली के कार्यक्रम को सुधारने का केवल एक साधन माना जाता है


निर्देशात्मक योजना में किसी भी उद्योग के राष्ट्रीयकरण की कोई आवश्यकता नहीं होती


आदेशात्मक योजना में सभी आर्थिक क्रियाकलाप लो क्षेत्र के हाथों में होते हैं जबकि निर्देशात्मक योजना में वे निजी क्षेत्र के हाथ में होते हैं


निर्देशात्मक योजना में लक्ष्यों की सिद्धि सरलता से होती है

Ans. A



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